Sunday, 26 April 2009

जागरूक मतदाता मजबूत लोकतंत्र

चुनाव के दो चरण हो चुके है. नेताऒ से लेकर आम आदमी तक मतदान के गिरते प्रतिशत को लेकर चर्चा कर रहा है. इसके भिन्न भिन्न कारण गिनाये जा रहे हैं. इन सब के बीच विदिशा लोकसभा संसदीय सीट के ग्राम पान्झ के मतदान केंद्र पर एक अजूबा हुआ.

दिनांक 23 अप्रेल को पान्झ में संसदीय सीट के लिए 92.25% मतदान हुआ। माइक्रो ओब्जर्बर की रिपोर्ट पर मामला जिला निर्वाचन अधिकारी से होते हुए चुनाव आयोग तक पंहुचा. मामले की उच्च स्तरीय समीक्छा हुई. समीक्छा में जबरिया मतदान की आशंका व्यक्त की गई और एक राजनैतिक दल के अभिकर्ता के खिलाफ जबरिया मतदान का मामला कायम किया गया. आप सोच रहे होंगे इसमें अजूबा क्या हुआ?
अजूबा तो इस के बाद हुआ. आयोग ने इस मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान का आदेश जारी किया. दिनांक 25 अप्रेल शनिवार को इस मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान हुआ और मतदान का प्रतिशत रहा 93.41% . पहले से भी 1.16% अधिक.
इस केंद्र के कुछ मतदाताओ ने जुलूस निकल कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सोपते हुए निर्वाचन आयोग से माफ़ी मांगने के लिए कहा है. क्या कहेंगे आप?

3 comments:

  1. रोचक! नहले पर दहला!

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  2. वाह वाह बहुत खूब
    रोचक और आस्था जगाता समाचार
    सबसे बड़ी बात
    सबसे बड़े को चूक करने के लिए माफ़ी मंगवाने का हौसला रखता गाँव.
    यह साहस अगर हर गाँव में लौटे तो भारत पुनः बने गांवो का देश .लौटे संस्कृति और नैतिक समरस परिवेश
    गहरी नजर और साझी समझ की प्रस्तुती पर बधाई

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  3. मनोज गुप्ता said...
    नाम में क्या रखा है?
    नाम में बहुत कुछ है. हमारे व्यक्तित्व का url है हमारा नाम. जिस पर क्लिक करते ही हमारा पूरा व्यक्तित्व प्रगट होता है.
    नाम रखने के पीछे कई बार कई कारण भी होते हैं.
    लवली जी के नाम के पीछे भावनात्मक कारण है. पर कई बार इसके पीछे बड़े रोचक कारण भी होते हैं. 1970 में फिल्म आई थी रोटी कपड़ा और मकान. फिल्म ने खूब धूम मचाई. हीरो का नाम था मनोज. 1970 और उसके आसपास की पैदाइश के कई लड़को के नाम मनोज है. जी हाँ मैं भी इसीलिए मनोज हूँ.
    पर हमारा जो भी नाम हो उससे थोडा फर्क तो पड़ता है पर ज्यादा नहीं, क्योकि हमारा काम हमारे नाम को नया अर्थ देता है.

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