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Sunday, 21 June 2009

जनजातीय कलासाधक - बालू शर्मा

आदिम जाति कल्याण विभाग, म. प्र. शासन द्वारा भोपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय जनजातीय फिल्म महोत्सव - 2009 के लिए रविन्द्र भवन परिसर में प्रवेश करते ही मुझे एक सुन्दर और समृद्ध जनजातीय परिवेश का सुखद अनुभव हुआ. हर तरफ बिखरे लाल, पीले, हरे, नीले चटक रंग. मटका, टोकरी, सूप, बांस, कलावा जैसी जनजातीय घरों में सहज सुलभ वस्तुओं का सुन्दर कलात्मक प्रयोग और साटन के कपडे की लहराती पट्टिया. मन महसूस कर रहा था कि जनजातीय कला के ये अद्भुत रूप बिखेरने वाला कलासाधक कोई और नहीं बालू शर्मा ही होंगे. परिसर के एक छोर पर खड़े मुस्कुराते बालू शर्मा को देख इसकी पुष्टि भी हो गई.
उज्जैन निवासी 57 वर्षीय इस कला साधक में बचपन से ही कलात्मक अभिरुचि थी. बचपन में सार्वजनिक गणेश उत्सव में झांकी सजाओ प्रतियोगिता में भाग लेने वाले इस कला साधक को जल्द ही मालवा के जनजातीय अंचलों ने आकर्षित किया. जहाँ धरती के सबसे सरल पर सबसे शानदार पदचारी जंगलों, झरनों, पहाडों में और अपने आप में मगन हैं. जहाँ परिवार और पड़ोस ही सब कुछ है. जहाँ प्रकृति से जुडा गीत संगीत है तो चित्र विचित्र भी.
धीरे धीरे बालू शर्मा कि भावनाओ ने इस पदचारी को विषय के रूप में और उसके सबसे मौलिक माध्यम को अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में चुन लिया. ये स्वाभविक ही रहा होगा क्योकि बालू शर्मा के शिल्प में जो उल्लास, आल्हाद और मदहोशी है वो इस धरती के इस अनगढ़ पदचारी के जीवन का मूल स्वर है.
बर्षों से जनजातीय कला में काम कर रहे इस कलासाधक के खाते में अनेक प्रदर्शनियां एवं पुरष्कार है. प्रदर्शनियों में जहाँगीर आर्ट गैलरी मुंबई 1990 एवं ललित कला आकादमी, नई दिल्ली 2004 प्रमुख हैं. पुरस्कारों में नेशनल एकेडमी, नई दिल्ली 1990 , म. प्र. कला परिषद्, भोपाल, आल इंडिया कालिदास पेंटिंग एंड स्कल्पचर एक्जिबिसन उज्जैन के पांच पुरष्कार और इंडियन एकेडमी आफ फाइन आर्ट, अमृतसर 2007 प्रमुख हैं.
वर्तमान में बालू शर्मा लगभग 250 वर्ष पूर्व के कबीलाई जीवन पर एक मूर्ति शिल्प संग्रह तैयार कर रहे हैं. कागज की लुगदी से बनने वाले शिल्पों में कबीलाई जीवन के विभिन्न रूप और रंग दिखाई देते है. इसमे कबीले का सरदार और उसका परिवार, कबीले की संगीत मंडली, ओझा या गुनिया, नाई प्रमुख हैं. इस मूर्ति शिल्प संग्रह में ऐसे ही कितने ही और चरित्र भी सम्मिलित है. लेकिन इन सब में सबसे अधिक प्रभावशाली है प्रार्थना में हाथ जोड़ कर आसमान की और देखता युवक. मानो वो हमारे मन की ही बात ईश्वर से कह रहा हो कि हे ईश्वर इस साल भरपूर बारिश दे, कुये जल से और खलिहान अन्न से भर दे.
इस शिल्प संग्रह का पूर्ण प्रदर्शन 14 जुलाई से भारत भवन में होगा, लेकिन इसकी एक झलक हमने इस अंतर्राष्ट्रीय जनजातीय फिल्म महोत्सव में आयोजित प्रदर्शनी में देखी. आप भी चित्रों के माध्यम से इस शिल्प संग्रह का और इस जनजातीय फिल्म महोत्सव में प्रर्दशित अन्य शिल्पों का आनंद लीजिये.


Sunday, 26 April 2009

जागरूक मतदाता मजबूत लोकतंत्र

चुनाव के दो चरण हो चुके है. नेताऒ से लेकर आम आदमी तक मतदान के गिरते प्रतिशत को लेकर चर्चा कर रहा है. इसके भिन्न भिन्न कारण गिनाये जा रहे हैं. इन सब के बीच विदिशा लोकसभा संसदीय सीट के ग्राम पान्झ के मतदान केंद्र पर एक अजूबा हुआ.

दिनांक 23 अप्रेल को पान्झ में संसदीय सीट के लिए 92.25% मतदान हुआ। माइक्रो ओब्जर्बर की रिपोर्ट पर मामला जिला निर्वाचन अधिकारी से होते हुए चुनाव आयोग तक पंहुचा. मामले की उच्च स्तरीय समीक्छा हुई. समीक्छा में जबरिया मतदान की आशंका व्यक्त की गई और एक राजनैतिक दल के अभिकर्ता के खिलाफ जबरिया मतदान का मामला कायम किया गया. आप सोच रहे होंगे इसमें अजूबा क्या हुआ?
अजूबा तो इस के बाद हुआ. आयोग ने इस मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान का आदेश जारी किया. दिनांक 25 अप्रेल शनिवार को इस मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान हुआ और मतदान का प्रतिशत रहा 93.41% . पहले से भी 1.16% अधिक.
इस केंद्र के कुछ मतदाताओ ने जुलूस निकल कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सोपते हुए निर्वाचन आयोग से माफ़ी मांगने के लिए कहा है. क्या कहेंगे आप?

Friday, 24 April 2009

एक दिन का आईपीएस

अहमदाबाद। थैलेसीमिया से गंभीर रूप से पीड़ित नौ सालके विजय की आई पी एस बनने की इच्छा आखिरकार पुलिस के सहयोग से बुधवार को पूरी हो ही गई। पुलिस ने एक दिन के लिए विजय को पुलिस कमिश्नर की तरह मान सम्मान दिया। इस नन्हे आई पी एस ने शाम जब शहर में गस्त की तो सभी उसे अचरज से देखने लगे। यहाँ पारसी का भट्ठाके पास एक चाल में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर पूंजाभाई खानैया और जानी बहन खानैया का नौ बर्षीय पुत्र विजय बड़ा हो कर पुलिस अधिकारी बनना चाहता है। लेकिन भगवान ने उसकी किस्मत में कुछ और ही लिखा है। वह थैलेसीमिया से पीड़ित है।
सपनों को साकार करने की पहल : विजय के पड़ोसी खीमाजी रायका ने इस नन्हे बालक की इच्छा पूरी करने का बीड़ा उठाया। वे विजय को आर्मी स्टोर पर यूनीफोर्म दिलाने के लिए ले गये। स्टोर के मालिक भवानी माहेश्वरी ने विजय के बारे में हकीकत जानने के बाद 2500 रु की वर्दी उसे फ्री में दे दी। इसके बाद सयुंक्त पुलिस आयुक्त अतुल करवल ने विजय की इच्छा पूरी करने के लिए यथासंभव सहयोग दिया।
पुलिस अधिकारी की वर्दी में विजय को कमिश्नर कार्यालय ले जाया गया। वहां अतिरिक्त पुलिस आयुक्त जी के परमार सहित सभी पुलिस कर्मियों ने उसे सलामी दी।
गस्त पर निकले विजय साहब : अचानक आदेश मिला की विजय साहब गस्त पर जायेंगे तुंरत उनके लिए जिप्सी आई। पुलिस दल के साथ वे शहर की गस्त पर निकले। विभिन्न चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मीयों ने उन्हें सलामी दी। छोटे से 'आईपीएस' अधिकारी का सभी ने स्वागत किया।
(अहमदाबाद से कुलदीप सिंह की रिपोर्ट दैनिक भास्कर भोपाल में दिनांक 24.04.09 को प्रकाशित)