जब हमें कहीं दावत पर आमंत्रित किया जाता है, तो वहां जो कुछ उपलब्ध होता है, हम उसका आनंद उठाते हैं। अगर वहां रसगुल्ला या कोई दूसरी मिठाई या व्यंजन नही है और हम उसकी फरमाइश करें तो हमारे इस आचरण को बेतुका माना जाता है।
जीवन में भी, हम उस सब की कामना में कुंठित होते है जो हमारे पास नहीं है- इसके बाबजूद कि हमारे पास बहुत कुछ मौजूद होता है, पर उसकी ओर हमारा ध्यान ही नहीं होता।
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