Wednesday, 22 April 2009

जीवन मानो एक दावत है।

जीवन को इस तरह ग्रहण करें मानो वह एक दावत हो। जिसमें आपको शालीनता के साथ पेश आना है। जब कोई व्यंजन आपके पास आए तो थोड़ा सा ले लें। अगर वो गुजर कर आगे चला जाए तो आपकी थाली में जो कुछ मोजूद है उसका स्वाद लेते रहें। अगर कोई व्यंजन अभी तक आपके पास नही आया है तो धीरज के साथ इंतजार करें।
संयम, नम्रता, और कृतज्ञता के इसी दृष्टिकोण के साथ बच्चों, पति अथवा पत्नी, कैरियर और आर्थिक स्थिति के साथ पेश आयें। कामना से अधीर होने की, ईर्ष्या करने की और किसी चीज के लिए झपटने की जरुरत नही है। जब आपका समय आएगा, आपका प्राप्य आपको मिल जाएगा।

1 comment:

  1. कहने को तो दुनिया में हैं सुखनवर बहुत अच्छे
    पर अपने मनोज भाई का है अंदाजे बयाँ और

    क्या बात कही है ?

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