Friday, 1 May 2009

कम मतदान का असली कारण चुनाव आयोग

ग्वालियर म. प्र. से प्रकाशित हिंदी दैनिक स्वदेश में आज एक खबर प्रकाशित है. शीर्षक है. "प्रचंड गर्मी, विवाह और चुनाव आयोग की सख्ती ने गिराया मतदान प्रतिशत".
इस खबर में संवाददाता ने विस्तार से इस बात को लिखा है कि किस तरह भीषण गर्मी और विवाह मुहूर्त के कारण मतदाता मतदान करने नहीं गए, पर बेचारा संवाददाता इस बात के विस्तार में नहीं गया कि चुनाव आयोग कि सख्ती से मतदान प्रतिशत किस प्रकार कम हुआ. पूरी खबर में संवाददाता बार बार एक ही लाइन लिख कर रह गया कि चुनाव आयोग की सख्ती के कारण भी मतदान प्रतिशत गिरा है. पर कैसे? ये वो नहीं बता सका, हम आपको बताये देते हैं.

पहला तो ये कि मतदाता पहचान पत्र सख्ती से लागू होने के कारण इस बार कई ऐसे वोटरों के वोट नहीं डल पाए जो या तो बाहर है या मर गए है. पहले ऐसे वोटरों के वोट उम्मीदवारों के उत्साही कार्यकर्ता डाल दिया करते थे. इस बार पहचान पत्र की सख्ती ने बेचारे ऐसे कार्यकर्ताओं का उत्साह बनने ही नहीं दिया. इससे भी मतदान का प्रतिशत गिरा है.

दूसरा अब चुनाव आयोग कि सख्ती के कारण उम्मीदवार नेता जी मतदाताओं को वाहन सुविधा उपलब्ध नहीं करा पाते हैं. इस कारण भी मतदान प्रतिशत गिरा है. पहले जब वोटरों का आना फ्री, जाना फ्री और रास्ते में खाना फ्री था, तो मतदाता भी मतदान के प्रति उत्साहित रहता था.

तीसरा वोट के बदले नोट पर जबसे चुनाव आयोग सख्त हुआ है और मतदाताओं को वोट से पहले नोट मिलना कम हुआ है तबसे वोटिंग के प्रति कई मतदाताओं की प्रेरणा ही जागृत नहीं हो पाती है. इस कारण भी मतदान प्रतिशत गिरा है.

चौथा इस ई वी एम मशीन ने तो बहुत ही सत्यानाश मारा है. पहले जब मत पत्र हुआ करते थे तो गाँव खेडे के बूथों पर भाई लोग फटाफट एक साथ मतपत्र की कई गड्डिया छाप देते थे. पर अब ई ससुरी मशीन बहुत देर तक तो टी ही बोलती रहती है. इस कारण भी मतदान प्रतिशत गिरा है.

भले ही स्वेदश संवाददाता को कम मतदान प्रतिशत के लिए चुनाव आयोग की सख्ती कई कारणों में से एक कारण लगती हो पर भैया हमें तो ये सख्ती ही एक मात्र कारण लगती है. हम जैसे लोकतंत्र के जागरूक पहरेदारों को इस सख्ती के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए. क्या कहते है आप?

2 comments:

  1. बहुत सही कहा,
    मतदान प्रतिशत गिरने के चुनाव आयोग के ये फंदे शुद्धता तोलाये हैं किन्तु कुछ मामलों में अभी काम होना बांकी है
    १- मतदाता का बूथ उसकी इक्च्छा के बिना न बदला जाये . मतदाता कहता है पिछली बार तो यहीं मतदान किया था अब कहाँ ढूंढूं ?
    २- मतदाता पर्ची पहुचाने की जिम्मेवारी भी चुनाव आयोग को उठानी चाहिए . व्यावहारिक बात यह है कि मतदान अधिकारी नाम ढूंढ कर मतदान समय सीमा में नहीं करवा सकते .
    ३- चुनाव में तकनीक का प्रयोग और बदाया जाना चाहिए चुनाव पहचान पत्र धारक को मतदान केंद्र पर तथा इन्टरनेट पर वोटर कार्ड संख्या डालते ही उसका मतदान केंद्र एवं मतदाता सूची का अनुक्रम विवरण प्राप्त होना चाहिए .मतदान के दिन यह जानकारी निशुल्क प्राप्त होना चाहिए .
    ४-अंतरताना के माध्यम से अभी मतदान सुविधा कि बात करना शायद जल्दबाजी लगे किन्तु अब इस दिशामे प्रयोग आरम्भ कर देने का यही सही समय है
    ५- मतदान प्रतिशत में कमी यह भी संकेत करती है कि कुछ मतदाताओं का नाम एक से अधिक सूचियों में अभी भी दर्ज है .
    ६- नये मतदाताओं के नाम सहित आवश्यक संशोधनों के लिए इंटरनेट पर आवेदन करने कि सुविधा उपलब्ध करना चाहिए .प्रतेक आवेदन पर हुई प्रगति का विवरण आवेदक को नेट पर व् हार्ड कोपी में भेजा जाना चाहिए .
    ७-गलत सूचनाएं देने वाले ,दोहरे नाम रखने वाले मतदाताओं के विरुद्ध कार्यवाही प्रशाशन करता है ऐसा कोई भी जनता में नहीं है .यह भी नामों के दोहराव का कर्ण है जिससे मतदान प्रतिशत गिरता है .

    आप चाहें तो अन्य ब्लॉगर मित्रो से इस विषय पर राय लेकर सार संछेपिका बना कर चुनाव आयोग को अनुरोध सुझाव भेजें
    पुनः व्यंग शैली में लिखी धनात्मक सरोकारों वाली टिप्पणी के लिए बधाई शुभ कामनाएं

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  2. मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! आपने बहुत ही सुंदर लिखा है! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!

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