Monday, 11 May 2009

हिंदी प्रिंट मिडिया के पाठकों और संस्कार भारती की जय.


आज दो अच्छी ख़बरों की चर्चा करूँगा. शीर्षक से जाहिर ही है पहली खबर प्रिंट मिडिया के पाठको के बारे में और दूसरी संस्कार भारती के बारे में है.
इंडियन रीडरशिप सर्वे के वर्ष 2009 के ताजा आंकडे प्रकाशित हुए है. इसके अनुसार देश में प्रिंट मिडिया में सर्वाधिक पाठक हिंदी भाषा के हैं. देश के सर्वाधिक प्रसारित दस अख़बारों की सूची में पहले पांच स्थानों पर हिंदी अख़बार है.शेष पांच स्थानों पर भी दूसरी भारतीय भाषाओँ का ही अधिकार है. हिंदी अखबारों की कुल पाठक संख्या 18 करोड़ के ऊपर है, जबकि अंग्रेजी अखबारों की कुल पाठक संख्या 4 करोड़ से भी कम है.
इसका सीधा आशय है कि बड़े कार्पोरेट ऑफिस लेकर नुक्कड़ की चाय की दुकान तक हिंदी अख़बार पढ़ा जा रहा है.

इसमें एक और सन्देश छिपा है जो हम हिंदी ब्लोगरों को समझना चाहिए. आज भले ही हिंदी ब्लॉग और उनके पाठकों की संख्या कम हो पर आने वाला वक्त हमारा ही है.

आफिस में पंडित रामप्रसाद बिस्मिल प्रतिष्ठान, भोपाल द्वारा प्रकाशित स्मारिका, साझी शहादत साझी विरासत, पर नजर पड़ी तो मुखप्रष्ठ के चित्र को देख कर बड़ा सुखद लगा. चित्र मुंबई के सुविख्यात चित्रकार श्री वासुदेव कामत की रचना है. श्री कामत ने ये चित्र प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के 150 वें वर्ष में झाँसी की रानी की जयंती पर उनकी बलिदान भूमि ग्वालियर म. प्र. में संस्कार भारती द्वारा आयोजित चित्रकलासाधक संगम के अवसर पर बनाया था.

मैं चित्र के विवरण में कुछ बताऊँ इससे बेहतर है आप स्वयं चित्र देखें और हमें बताएं.

संस्कार भारती द्वारा आयोजित इस चित्रकलासाधक संगम की परिकल्पना में प्रमुख भूमिका मेरे मित्र जगदीश गुप्ता एवं आयोजन में प्रमुख भूमिका उनकी धर्मपत्नी नीलम गुप्ता की थी. ग्वालियर संस्कार भारती के राष्ट्रीय महासचिव श्री कामता नाथ वैशम्पायन का गृह नगर भी है इस कारण ग्वालियर में संस्कार भारती के अद्भुत आयोजन होते रहते है.


3 comments:

  1. मनोज भाई
    यह अद्भुत चित्र देखना सुखद है .
    साझी शहादत साझी विरासत के प्रकाशकों सम्पादक को साधुवाद बधाई और अभिनन्दन

    देश में हिंदी के अख़बारों का पाठकों के ह्रदय पर बढ़ता कब्जा एक और तो देश के नवनिर्माण के लिए सुखद है दूसरी ओर देश की मौलिक प्रतिभा को देश के लिए उपयोग के अवसर भी निर्माण करने वाला है

    अंग्रेजी अखबारोंके बारे में एक तथ्य और जानलीजिये
    ४ में से ३ अंग्रेजी अख़बार अंग्रेजी सीखने वालो द्वारा खरीदे जाते हैं उनकी एकाध खबर बमुश्किल पढ़ी जाती है ये इंग्लिश सीखने वाले बच्चे न तो विज्ञापन पढ़ते है न ही उनकी अंदर की सामग्री .जिस दिन विज्ञपन अजेंसिओं को यह तथ्य पता लगेगा और उनको विगाप्न मिलना बंद हो जायेंगे ये अख़बार और भी नीचे चले जायेंगे

    सार्थक और धनात्मक समाचारों के नेट पर प्रसारण के लिए साधुवाद

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  2. प्रिंट मीडिया की विशस्वनीयता का सबूत है ये आंकडे।

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  3. अच्छा काम... बेहतर प्रस्तुति... बधाई मनोज जी

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